सवाल- ज़वाब
सवाल- ज़वाब
१.) तू धधक रहा है क्यों राख पर,
आग तो अब ख़ाक हो गयी है,
कुछ सवालों के पनपते बीज पर,
न मचल तू मौत की दहलीज पर ।
२.) वो घटा क्या, जो करे सिर्फ़ गर्जना ,
पालने में बैठ मृत्यु सेज पर,
हवा के इन झोकों से न संभल तू,
सामना कर सामने दीवार बन ।
३.) क्या वक़्त के आगे तू यूँ झुक जायेगा,
मोड़ गर्दन, पंख ना फैलाएगा,
मांस के इन लोथड़ों से पूछ तू,
खुद आप पे हँस पाता तू सह पाएगा ।
४.) क्या भला कर पायेगा तू सामना,
इस धरा और उस गगन के भार का,
चलना दूभर हो जायेगा तेरा ज़मीं पर,
ना पूरी हो पायेगी तेरी कामना ।
१.) तू धधक रहा है क्यों राख पर,
आग तो अब ख़ाक हो गयी है,
कुछ सवालों के पनपते बीज पर,
न मचल तू मौत की दहलीज पर ।
२.) वो घटा क्या, जो करे सिर्फ़ गर्जना ,
पालने में बैठ मृत्यु सेज पर,
हवा के इन झोकों से न संभल तू,
सामना कर सामने दीवार बन ।
३.) क्या वक़्त के आगे तू यूँ झुक जायेगा,
मोड़ गर्दन, पंख ना फैलाएगा,
मांस के इन लोथड़ों से पूछ तू,
खुद आप पे हँस पाता तू सह पाएगा ।
४.) क्या भला कर पायेगा तू सामना,
इस धरा और उस गगन के भार का,
चलना दूभर हो जायेगा तेरा ज़मीं पर,
ना पूरी हो पायेगी तेरी कामना ।
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