लाइब्रेरी

एक शहर या देश की महानता कई मापदंडों  पर निर्भर करती होंगी पर कुछ पैमाने जो मैं जान पाया हूँ और जिनका मैं जिक्र करना चाहूंगा उनमे प्रमुख हैं कि वह शहर या देश अपने नागरिकों  को किस नज़रिये से देखता है, उसने अपनी विरासतों को कैसे संजो कर रखा है और साथ ही साथ उसके नागरिक उन खूबियों को कैसे स्वीकार करते हैं|

विगत तीन महीनों के लंदन प्रवास के बाद मैं यक़ीनन कह सकता हूँ वाकई यह शहर इन पैमानों पर भारतीय शहरों से कई पायदान ऊपर है | यह एक ऐसा शहर है जो अपने लोगों से प्यार करता है जो अमूमन मैंने भारतीय शहरों में नहीं देखा है |

एकाकीपन के कारण इस शहर को बार बार देखने का मुझे सौभाग्य मिल पाया | पर मैं जिस सुखद घटना का ज़िक्र करने जा रहा हूँ वह लाइब्रेरी से सम्बंधित है | अक्सर अपने निवास क्षेत्र में घूमते हुए मेरी नज़र एक लाल रंग की रंगीन इमारत पर पड़ती थी जिस पर बड़े शद्बों में लिखा था "लाइब्रेरी" | वक़्त की पाबंदियों के बीच जाने का मौका नहीं मिल पा रहा था| और जब मौका मिला तो यह एक सुखद अनुभव में तब्दील हो गया |

वैसे लंदन की हर एक काउन्सिल में एक ना एक लाइब्रेरी ज़रूर होती है पर अभी मैं वेम्बली के ब्रेंट लाइब्रेरी की बात कर रहा हूँ | लाइब्रेरी के मुख्य द्वार पर सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा विराजमान है | चूकिं यहाँ भारतीय मूल के नागरिक ज्यादा हैं तो लाइब्रेरी में भारतीयों भाषाओं जैसे हिंदी, तमिल, गुजराती की पुस्तकें बहुतायत में हैं |

मैं जिस घटना का ज़िक्र करने जा रहा हूँ और जिस वजह से मैं इस शहर का मुरीद हो गया हूँ वह है शहर का अपने नागरिकों को देखने का नज़रिया | लाइब्रेरी में प्रवेश करने और फिर वहाँ रजिस्ट्रेशन कराने में मुझे मिनट भर का भी समय नहीं लगा | मुझसे सिर्फ एक सवाल पूछा गया क्या यह आपके सबसे नज़दीक की लाइब्रेरी है और मेरे हाँ बोलते ही वहाँ उपस्थित ब्रिटिश महिला ने मुझे कंप्यूटर पर रजिस्ट्रेशन करने को कहा और पल भर में ही मेरे पास लाइब्रेरी कार्ड था | मुझसे यह प्रमाण भी नहीं लिया गया कि मैं कौन हूँ, कहा रहता हूँ, और ना ही प्रमाण पत्र जांचे गए जो मेरी सोच के परे थे | एक और ख़ास बात लाइब्रेरी से पुस्तक लेना या लाइब्रेरी में बैठ कर पढ़ना निःशुल्क हैं, यानी ज्ञानार्जन पर कोई पाबंदी नहीं है |

वैसे मैं सिर्फ इस पैमाने पर इस शहर का आकलन नहीं करना चाहूंगा | नए अनुभव के साथ नजरिया भी बदल जाते हैं परन्तु दूसरे पैमाने जिसका जिक्र मैंने शुरुआत में किया था "उसने अपनी विरासतों को कैसे संजो कर रखा", इस पैमाने पर भी मैंने इस शहर को अव्वल ही पाया है | पर इसकी चर्चा फिर कभी, अभी सुखद अनुभव और आज ली गयी दोनों पुस्तकों को अविलम्ब ख़त्म करने की इच्छा के साथ अलविदा |

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